नमस्कार विद्यार्थियों,
आज योग की कक्षा में आप का स्वागत है | आज हम सीखेगें के योग की ८ आदतें कैसे बनाई जा सकती है जिस से हम सुखी व स्वास्थ्यवर्धक हो जाएँ |
आज व मैं शब्द लगाने से आप किसी आदत को बनाने की प्रक्रिया में सक्रीय भूमिका निभा सकते हो | तो आयें आज ऐसे सीखते है
पंतञ्जलि ऋषि ने योग के आठ अंग बनाये | एक योगी हमेशा ही स्वास्थ्य रहता है क्योकि वह योग की साधना है | हम ने हर अंग में आज व मैं जोड़ देना है
सबसे पहले कहे
आज मैं योग का पालन करूगां
१. आज मैं यम का पालन करूंगा |
२. आज मैं नियम का पालन करूंगा
३. आज मैं आसन का अभ्यास करूंगा
४. आज मैं प्रणवायाम का अभ्यास करूंगा
५. आज मैं प्रतियार का अभ्यास करूंगा
६. आज मैं धरना का अभ्यास करूंगा
७. आज मैं ध्यान का अभ्यास करूंगा
८. आज समाधी का अभ्यास करूंगा
१. आज मैं यम का पालन करूंगा
यम आगे ५ होते है
१. अहिंसा
आज मैं अहिंसा का पालन करूंगा
पंतजलि ऋषि इसका लाभ बताते है
अहिंसा प्रतिष्ठामयाम त्तस्निद्धो वैरत्याग
जीवन में जब हम अहिंसा की इज्जत, मान व अहिंसा को सम्मान देते है तो हमारा सब से व सबका हमसे वैर त्याग हो जाता है जिस से
क्रोध खतम होता है कोई वैरी होगा तो क्रोध होगा
नफरत ख़त्म होती है कोई वैरी होगा तो नफरत होगी
इर्षा व द्वेष ख़त्म होती है कोई वैरी होगा तो इर्षा व द्वेष पैदा होगें |
२. सत्य
आज मैं सत्य का पालन करूंगा |
पंतजलि ऋषि इसका लाभ बताते है
सत्य प्रतिष्ठामयामक्रियाफलाश्रितवम
जीवन में जब हम सत्य की इज्जत, मान व सत्य को सम्मान देते है तो हमारे वाक् में सिद्धि हो जाती है व हम जो भी कर्म करते है उसका फल सर्वोत्म होता है सत्यवादी बनने से की गयी मेहनत लाभ पहुंचाती है |
३. अस्येह
आज मैं असत्यह का पालन करूंगा |
पंतजलि ऋषि इसका लाभ बताते है
अस्तेय प्रतिष्ठामयाम सर्वरत्नोपस्थानम
जीवन में यदि आप बिना आज्ञा से किसी की चीज नहीं उठाएगें तो आप को जो भी कमती रत्न चाहिए वह अपने आप आपके सामने उपस्थित हो जायेगे | क्योकि ईमानदार आदमी को हर कोई पसंद करता है व उसकी सफलता निश्चित है |
४. ब्रह्मचर्य
आज मैं ब्रह्मचर्य का पालन करूंगा |
पंतजलि ऋषि इसका लाभ बताते है
ब्रह्मचर्य प्रतिष्ठामयाम वीर्य लाभ:
ब्रह्मचर्य का पालन करने से वीर्य लाभ मिलता है जिससे शरीर बलवान बनता है | मन बलवान बनता है व आत्मा बलवान बनती है| ब्रह्मचर्य के १०० लाभ जाने
५. अपिग्रह
आज मैं अपिग्रह का पालन करूंगा |
पंतजलि ऋषि इसका लाभ बताते है
अपिग्रह स्थैर्य जन्मकथनत संबोध
१. आज नियम का पालन करूंगा
नियम आगे ५ होते है
१. शौच
आज मैं शौच का पालन करूंगा
शरीर, मन व आत्मा की शुद्धि से बीमारी ठीक होती है
१. संतोष
आज मैं संतोष का पालन करूंगा
संतोष ही दुनियां का सबसे बड़ा सुख है
१. तप
आज मैं तप का पालन करूंगा
तप से शरीर व इंद्रियों की सिद्धि होती अशुद्धि का नाश होता है
१. स्वाध्याय
आज मैं स्वाध्याय का पालन करूंगा
स्वाध्याय से मनुष्य देवता बनता है
१.ईश्वरप्रणिधान
आज मैं ईश्वर प्रणिधान का पालन करूंगा
हर चीज में ईश्वर को देखने से समाधी मिलती है
३. आज मैं आसन का अभ्यास करूंगा
सथिसुखासनं
जिस स्थिति में सुख हो व्ही आसन है | इससे शरीर में लचक आती है |
४. आज मैं प्रणवायाम का अभ्यास करूंगा
श्वास व पार्श्वास की गति विशेद का नाम प्रणवायाम है
५. आज मैं प्रत्याहार का अभ्यास करूंगा
इंद्रियों की गति विशेद का नाम प्रत्याहार है जिससे मन का चंचल होना खत्म हो जाता है
६. आज मैं धरना का अभ्यास करूंगा
इंद्रियों को लक्ष्य पर साधना ही धरना है
७. आज मैं ध्यान का अभ्यास करूंगा
इंद्रियों को लक्ष्य पर साधना ही धरना है व धरना जब स्थिर हो जाये तो यह अर्थात इन्द्रिय आप को सहयोग दे लक्ष्य साधने में
८. आज समाधी का अभ्यास करूंगा
समाधी का मतलब परमात्मा से मेल व शून्य पर ध्यान स्थिर होना | परमात्मा का एक नाम शून्य है एक के साथ सिर्फ शून्य लग जाये तो जितने शून्य वहसंख्या उतनी बड़ी | आपके साथ भी परमात्मा जुड़ जाये तो आप भी बड़े हो जाओगे |
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