प्राकृतिक चिकित्सा एक हवा, पानी, मिटी, अग्नि, व आकाश के मूल प्राकृतिक तत्वों से मानव की सभी बिमारियों को ठीक करने की चिकित्सा-पद्धति है इसमें शरीर के अंदर के विष को बाहर निकाला जाता है व शरीर की बिमारियों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाया जाता है । प्राकृतिक चिकित्सा में कोई दवाई खिला के बीमारी को दबाया नहीं जाता |
प्राकृतिक चिकित्सा प्रकृति में भगवान की महान शक्ति को देखता है जो बीमारी ठीक करती है । प्राकृतिक चिकित्सा में सूर्य व हवन से अग्नि चिकित्सा की जाती है | पानी से जल चिकित्सा की जाती है | मिटी से मिट्टी चिकित्सा की जाती है | व प्राणाव्याम से वायु चिकित्सा की जाती है | ध्यान से आकाश चिकित्सा की जाती है|
प्राकृतिक चिकित्सा का एक ही महान लक्ष्य है , बिमारियों को बिना दवाई व बिना शल्य चिकित्सा से ठीक करना | व इन विष वाली गोलियों का व्यापार बंद करना |
प्रणाली चिकित्सा में फल व कच्ची ह्री सब्जी को दवाई के रूप में खाया जाता है व यही आपकी बीमारी ठीक कर देती है |
इतिहास
प्राकृतिक चिकित्सा की खोज भारत की ऋषियों ने की | हमारे ऋषि मुनि जंगलों में प्रणवायाम व समाधी लगाते थी | जिस से वह वायु चिकित्सा कर के हमेशा स्वस्थ रहते थे | स्वामी दयानन्द सरस्वती १ घंटा प्रणवायाम करते थे | हमारे ऋषि मुनि जंगल के कच्चे फल खा कर व जंगल की जड़ी बूटियों से हमेशा ही हर बीमारी की प्राकृतिक चिकित्सा कर देते थे |
हनुमान जी ने हिमालय से जड़ी बूटी लगा कर प्राकृतिक चिकित्सा से लक्ष्मण जी को नव जीवन दिया | हमारे ऋषि मुनियों ने बताया के सिर्फ तुलसी से १५ तरह के बुखार ठीक होते है | देसी गाय के दूध, दही, मखन व देसी घी में बिमारियों को ठीक करने की अदभुत शक्ति है |
प्रोफेसर राम मूर्ति जी ने १०,००० दंड बैठक लगा कर पसीने से उनको दिए विष को बाहर निकाला |
हमारे ऋषि मुनियों ने ब्रह्मचर्य के बल पर बिमारियों से लड़ने की शक्ति को बड़ा लिया था | इस लिए उन्हें कोई बीमारी लगती ही नहीं थी | प्राचीन भारत में वेभिचार करने वाले को मृत्यु दंड था जिस के भय से गृहस्थी भी ब्रह्मचर्य का पालन करते थे व हमेशा प्राकृतिक रूप से स्वास्थ्य रहते थे
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