क्या आप कामवासना से सदा के लिए मुक्ति प्राप्त करना चाहते हो व ब्रह्मचर्य के रस्ते में बिना भटके चलना चाहते हो | तो आज मैं इसका बिलकुल सीधा रास्ता बताता हु
१. याद रखे कामवासना क्षणिक सुख तो दे सकती है पर हमेशा के लिए आनंद नहीं दे सकती | यह एक माया है व मर्ग तृष्णा है | याद रखे कामवासना अस्थाई सुख तो दे सकती है पर स्थायी आनंद नहीं दे सकती |
२. याद रखे स्थायी आनंद अलग होता है वो किसी वास्तु या व्यक्ति से नहीं मिल सकता | इस लिए यह ख़तम नहीं हो सकता व इसे कोई आप से छीन सकता है |
३. याद रखे , यदि आप को कामवासना में ही स्थायी आनद मिल जाता तो आप इस को नहीं पड़ रहे होते, आप कष्ट में में है क्योकि आप को अब इस कैद से मुक्ति चाहिए व सिर्फ स्थायी आनंद |
४. याद रखे कि स्थायी आनंद प्राप्त करने के लिए आप को अपने अंदर विवेक जागृत करना होगा के यह शरीर व यह हमारी आत्मा अलग अलग ही | यह एक नहीं |
५. याद रखे आप यह वैराग्य रूपी विवेक नश्वर चीजों का साक्षी बन कर जाग्रत कर सकते है | देखें कौन सी चीज जो प्रकृति में है वो नाशवान नहीं है | आज वृक्ष था कल कट गया | आज कच्चा रास्ता था | कल वो भी ख़तम हो कर पका रास्ता हो गया | कल जो बच्चा था वो आज बूढ़ा हो गया | आज बूढ़ा मर गया | हर चीज नाशवान है इस से मोह न रखे |
६. आप नश्वर चीजों के साक्षी सत्य को जान कर बन सकते है |
७. सत्य वो है जिस में परिवर्तन नहीं आता | जो वृक्ष की तरह कटता नहीं , कच्चे रास्ते की तरह पका नहीं होता | जो बच्चा होकर बूढ़ा नहीं होता | जो बूढ़ा होकर मरता नहीं | जो कुछ न होने से पहले भी था जो कुछ होने के बाद भी होगा |
८. याद रखे हमारे शरीर में बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सबकुछ बदलता है पर एक चीज नहीं बदलती | उसी सत्य को हमे जानना है |
९. याद रखे , हमारा सुबह उठना , हमारे खून का चलना, हमारा साँस लेना व हमारी इन्द्रियों की चेतना उस सत्य के होने का प्रमाण है |
१०. याद रखे उसी की इच्छा से हम जीते है व मरते है | उसकी इच्छा से आग जलती है व नदिया बहती है |
११. याद रखे , उस सत्य को जानने के लिए उस चेतन ब्रह्म को अनुभव करना जरुरी है |
१२. जो उस ब्रह्म को अनुभव कर सकता है व्ही उस परम् आनंद को प्राप्त कर सकता है |
१३. याद रखे यह सत्य मेरे शब्दों में नहीं बल्कि इसे आप ने खुद खोजना है |
१४. याद रखे मैं आप का मार्ग बताने वाला हु पर उस मार्ग से आगे बढ़कर उस सत्य व आनंद को प्राप्त करना आप का कर्म है |
१५. याद रखे जिस भी भगवान् में आप को विशवास है उसका ध्यान करे वो आनंद आप को मिल जायेगा |
१६. याद रखे शरीर सुख व कामवासना परम् सुख नहीं , व व्यक्ति भोग की वास्तु नहीं | परमसुख है उस आत्मा को जानने में जो सत्य है | परमसुख है उस परमात्मा को जानने में जो सत्य है व जिस का नाश नहीं होता |
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