पेट में भोजन पचना बहुत जरुरी है क्योकि इसीसे हमे शक्ति प्राप्त होती जब यह पच्चा हुआ भोजन खून बनता है | याद रखे भोजन भोजन तंत्र में पचता है | यह भोजन तंत्र भगवान् ने बनाया है |
१. दांत भोजन पचाने में मदद करते है
हमारे मुँह में ३२ दांत होते है , जब हम एक ग्रास को चबाते है तो भोजन छोटे छोटे टुकड़ों में बट जाता है जिसे पचाने में आसानी होती है इस लिए अच्छी तरह से हजम करने के लिए हमे खूब चबाना चाहिए भोजन को अपने दांतों से |
२. जुबान भी सहयोग करती है भोजन को पचाने में
जुबान सिर्फ बोलने का कार्य ही नहीं करती , यह हमे भोजन स्वाद ज्ञान भी देती है | जब भोजन को जुबान के ऊपर रख कर चबाया जाता है तो इसमें से निकला स्लाइवा इसमें शामिल हो जाता है जिस से भोजन बदल जाता है जिसे आसानी से निगला निगला जा सकता है स्लाइवा एक झागदार पानी होता है जो जुबान से चबाने के दौरान जबड़े की ग्रन्धियों द्वारा बनता है | एक दिन में १. लीटर स्लाइवा या लार बनता है | यह कीटाणुनाशक भी है |
३. ग्रासनली का भोजन पचाने में मदद करना
ग्रासनली में जैसे ही दांतो से चबा के भोजन भेजा जाता है वैसे ग्रासनली भोजन को और पचाने के कार्य में लग जाती ै , यह भोजन को पेट तक पहुंचाने में मदद करता है , यह एक आसान मूवमेंट देता है जिसे पेरीस्टाल्सिस कहते है | जैसे ही भोजन ग्रास नली में ट्रेवल करता है , यह भोजन के पीछे से सुकड़ता जाता व आगे से खुलता जाता है , चाहे हम उलटे भी हो जाये तब भी भोजन पेट में ही जायेगा |
४. पेट भी मदद करता है भोजन के पचाने में
जैसे ही ग्रास नली से भोजन पेट में पहुँचता है इस एसिडिक जूस मिक्स हो जाताहै यह भोजन को छोटे छोटे टुकड़ों में बाँट देता है
५. छोटी आंत भी भोजन पचाने में मदद करती है
कुछ भोजन पच गया है आगे का पचना छोटी आंत में होगा | इस छोटी आंत की फ़ीट होती होती है | इस छोटी आंत में तीन भाग होते है | सबसे पहले भाग में बाइल जूस व पेनक्रास जूस पेट से आये भोजन में शामिल होता है
बाइल भोजन की फैट को तोड़ कर फैटी एसिड बनाती है जो ब्लड में आसानी से शामिल हो कर शक्ति देती है व पेनक्रास जूस भोजन के कार्बोहाइड्रेट्स को तोड़ता है व इस गुलुकोष को ब्लड सेल में पंहुचा देता है क्योकि छोटी आंत में छोटे छोटे शेक होते है |
छोटी अंत के आखरी हिसे में भोजन के मिनरल्स हजम होते है जिस से हडिया व खून के तत्व बनते है
६. बड़ी आंत भोजन पचाने में मदद करती है
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