1. आंतों की सफाई न करना
जब हम अपनी आंतो की सफाई नहीं करते तो इसमें धीरे धीरे गंदगी इकठी होना शुरू हो जाती है व जब यह निचे वर्षण में जाती है तो आगे जा नहीं सकती व यही फ्लूइड के रूप में इकठी हो जाती है जिस कारण हीड्रोसेल हो जाता है
2. हर रोज पैदल न चलना
जो मनुष्य पैदल नहीं चलता उसे कोई न कोई रोग अवय्श्य हो जाता है | हीड्रोसेल का भी यही कारन है | पैदल न चलने के कारण , मनुष्य की आते कमजोर हो जाती है व वह भोजन का अच्छी तरह से पाचन नहीं कर सकती जिस की वजह से कब्ज की शिकायत शुरू हो जाती है व कब्ज से उत्पन हुयी गंदगी उसके अंडकोश में पहुँचती है व वो इस कारन इस रोग में फस जाता है व तकलीफ से उसे चला भी नहीं जाता न सोया जाता है |
3. अप्राकृतिक भोजन खाना
आज मानव नॉनवेज , अंडे, तैलीय और तेज और मेदा युक्त भोजन और मीठा और नमक और ठंडा पानी और चाय पीता है | यह मानव का भोजन है ही नहीं यह अप्राकृतिक भोजन खाने से उसके पेट का मल साफ होता ही नहीं क्योकि यह भोजन पचने योग्य है ही नहीं | जब यह भोजन हर रोज खाना शुरू करता है तो उसकी सबसे पहले आंतो की मूवमेंट ही ख़तम हो जाती है व उसका खून बनता नहीं उल्टा यही टोक्सिन फ्लूइड अपनी नई जगह ढूंढ़ता है व उसे यह मिलती है अंडकोश में व धीरे अंडकोश का आकार बढ़ जाता है व यहां की नसों में दर्द शुरू हो , आखिर कितना बोझ उठायें अंडकोश व यहां रहने वाले स्पर्म का दम खुतने लगता है व उसकी संख्या भी कम हो जाती है |
मानव के गंदे भोजन को चार चाँद पार्टीज व दावते करते है | जहा की पेप्सी व कोका कोला का जहर वो पीता है व बीमार हो जाता है
4 . व्यायाम न करना
आज मानव सारा दिन बिस्तर पर पड़ा रहता है | दुकान पर बैठा है , ऑफिस में दस घंटे लैपटॉप चला रहा है पैर व्यायाम के नाम पर सिर्फ ऑफिस से घर व घर से ऑफिस जाता है | यह व्यायाम नहीं | व्यायाम का अर्थ है हर अंग की एक्सरसाइज | इसके अभाव में शरीर की गंदगी बाहर जाना बंद हो गयी , पसीना आना बंद हो गया | व हीड्रोसेल हो गया पुरषों को | पहले लोग गौमाता पालते थे , उसका गोबर उठाना , दूध निकालना , मखन बनाना देसी घी बनना अदि वयायाम होते थे व यह बीमारी नहीं थी
5. वेभिचारी बनना
इंटरनेट के आने के बाद आज का मानव और भी ज्यादा व्यभिचारी हो गया है | जिसके कारन उसका वीर्य का नाश हो रहा है बिना संतान उत्पति के व इस नाश के कारन उसकी बिमारियों से लड़ने की क्षमता भी कम हो गयी है | एक बार यह बीमारी शुरू होने पर बढ़ती जाती है , कम होने का नाम नहीं लेती , कारण है मानव का व्यभिचारी होना |
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