परिचय
राम प्रसाद बिस्मिल का शहादत दिवस, 19 दिसंबर 1927, हमें उनके बलिदान और आदर्शों की याद दिलाता है। केवल 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारत माता की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी इस महानता के पीछे उनकी ब्रह्मचर्य की शक्ति थी। उनकी आत्मकथा, क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल, में उनके बताए गए ब्रह्मचर्य के 13 नियम आज भी हमें प्रेरित करते हैं।
1. ब्रह्मचर्य का मन से अभ्यास
राम प्रसाद बिस्मिल ने कहा था कि मन से ब्रह्मचर्य का अभ्यास किया जाए। उनका मानना था कि सौंदर्य क्षणिक है और असली सुंदरता व्यक्ति के अच्छे कर्मों में निहित होती है। जब भी मन में वासना के विचार उत्पन्न हों, तो उसे यह समझाना चाहिए कि यह नाशवान है। ऐसा अभ्यास करने से मन स्थिर होता है और ब्रह्मचर्य की शक्ति बढ़ती है।
2. उच्च विचारों का महत्व
उच्च विचारों से मन को प्रेरित करना आवश्यक है। बिस्मिल जी कहते थे कि बड़े लक्ष्य और सपने सोचने से ब्रह्मचर्य स्थिर होता है। चाहे वह बीमारी से लड़ने का सपना हो या देश की सेवा का लक्ष्य, उच्च विचार व्यक्ति को नकारात्मकता से बचाते हैं और उसकी ऊर्जा को सही दिशा में केंद्रित करते हैं।
3. सकारात्मक सोच और क्रिया
उन्होंने कहा कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। गंदे विचार और बुरी आदतें व्यक्ति के चरित्र और सेहत को नष्ट कर देती हैं। उन्होंने सकारात्मक सोच को अपनाने और अपने कर्मों को नियंत्रित करने की सलाह दी। ऐसा करने से जीवन में संतुलन और सफलता दोनों मिलते हैं।
4. आध्यात्मिकता और ध्यान का महत्व
राम प्रसाद बिस्मिल ने मानसिक भावों को शुद्ध करने के लिए ध्यान को सबसे प्रभावी तरीका बताया। सुबह-शाम ध्यान करने से व्यक्ति के विचार शुद्ध होते हैं और वह नकारात्मकता से दूर रहता है। ध्यान आत्मा और मन को स्थिर करता है, जिससे व्यक्ति का ब्रह्मचर्य मजबूत होता है।
5. नियमित दिनचर्या और सात्विक भोजन
उन्होंने दिनचर्या को निश्चित करने और सात्विक भोजन का पालन करने पर जोर दिया। नियमित दिनचर्या व्यक्ति को व्यर्थ के विचारों और शैतानी प्रवृत्तियों से बचाती है। सात्विक भोजन शरीर और मन को शुद्ध करता है, जिससे ब्रह्मचर्य का पालन सरल हो जाता है।
6. महात्माओं की जीवनी का अध्ययन
बिस्मिल जी का मानना था कि महान आत्माओं की जीवनी पढ़ने से प्रेरणा मिलती है। उन्होंने स्वामी दयानंद, हनुमान, और भीष्म जैसे महापुरुषों का अनुसरण करने की सलाह दी। ऐसे व्यक्तित्वों की कहानियाँ हमें आत्मनियंत्रण और धैर्य सिखाती हैं।
7. गलत विचारों से बचाव
उन्होंने कहा कि गलत विचारों में समय नष्ट न करें। जब भी ऐसे विचार आएं, जल पीकर और स्थान बदलकर स्वयं को शांत करें। गलत विचारों से बचने के लिए अश्लील सामग्री से दूरी बनाना आवश्यक है।
राम प्रसाद बिस्मिल जी के ब्रह्मचर्य के नियम (Simplified)
ब्रह्मचर्य का मानसिक अभ्यास करें।
- Every beauty will die. Not attach.
मन को संदेश दें ऊंचे विचार सोचें।
- Think about big dreams & goals.
प्रत्येक क्रिया का फल समझें।
- Every action has reaction.
ब्रह्मचारी रहने की इच्छा जगाएं।
- Vital energy.
मानसिक भावों को वृद्धि करें।
- Meditation.
दिनचर्या सुनिश्चित करें।
- Do your daily work at fixed time.
खानपान का ध्यान रखें।
- No non-veg, eggs, fast & junk food.
महापुरुषों की जीवनी पढ़ें।
- Daily read biographies of great people who have self-control.
बुरे विचारों में समय नष्ट न करें।
- Wasting means making bad habits.
बुरे विचार पैदा होने पर जल पिएं और घूमने जाएं
यदि आपके मन में बुरे विचार उत्पन्न होते हैं, तो तुरंत अपने मन को शांत करने के लिए एक गिलास पानी पिएं। जल आपके मन को शीतलता और शांति प्रदान करता है। इसके साथ ही, खुले वातावरण में टहलने जाएं।
प्राकृतिक वातावरण में घूमने से न केवल आपका ध्यान बुरे विचारों से हटेगा, बल्कि यह आपके मन और शरीर को सकारात्मक ऊर्जा से भर देगा। नियमित रूप से ऐसा करने से मन में बुरे विचार आने की संभावना कम हो जाएगी और आपकी सोच में शुद्धता और स्थिरता बनी रहेगी।
- अश्लील चीजों से दूर रहें।
- Block Facebook, YouTube & internet thinking bad.
ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए स्त्रियों के दर्शन से बचना आवश्यक है। यह ध्यान रखें कि बाहरी सौंदर्य क्षणिक होता है और आत्मा की शुद्धता के लिए इसे नजरअंदाज करना चाहिए। अपनी सोच को उच्च विचारों और अपने बड़े लक्ष्यों की ओर केंद्रित करें।
स्त्रियों के साथ किसी भी प्रकार के अनावश्यक संपर्क से बचें और अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं। यह आपके मन और शरीर को स्थिरता प्रदान करेगा और ब्रह्मचर्य के मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ने में सहायक होगा।
व्यायाम और योग करें रोज़ाना
- Hard exercises and yog are not hard; practice and make them easy.
निष्कर्ष
राम प्रसाद बिस्मिल का जीवन हमें सिखाता है कि ब्रह्मचर्य और आत्मनियंत्रण से हम असंभव को संभव बना सकते हैं। उनके बताए गए नियम न केवल उनकी सफलता का आधार थे, बल्कि आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। उनका जीवन और बलिदान हमें सिखाता है कि अपने सपनों और लक्ष्यों को पाने के लिए आत्मनियंत्रण और धैर्य अति आवश्यक हैं।
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