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इस चिकित्सालय  के संस्थापक डॉ. विनोद कुमार ने रोगियों की सहायता के लिए 500+ बिमारियों की चिकित्सा सबंधी ज्ञान दिया | 

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पंचगव्य चिकित्सा क्या है?

पंचगव्य चिकित्सा भारतीय वैदिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें गाय से प्राप्त पाँच प्राकृतिक उत्पादों – दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर – का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, पंचगव्य शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखने में सहायक होता है।

पंचगव्य के प्रमुख घटक और उनके लाभ

  1. गाय का दूध:

    1. शरीर को आवश्यक पोषण देता है।
    2. पाचन में सहायक और मानसिक शांति प्रदान करता है।
    3. कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर होता है।
  2. दही:

    1. आंतों के लिए लाभकारी, सुपाच्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला।
    2. प्रोबायोटिक्स से भरपूर, जो पाचन में सुधार करता है।
    3. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद।
  3. घी:

    1. मस्तिष्क की क्षमता और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
    2. पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
    3. वात-पित्त-कफ संतुलन बनाए रखने में सहायक।
  4. गोमूत्र:

    1. शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है (डिटॉक्सिफिकेशन)।
    2. कैंसररोधी गुणों से युक्त।
    3. पाचन और चयापचय में सुधार करता है।
  5. गोबर:

    1. प्राकृतिक जीवाणु रोधी (एंटीबैक्टीरियल) गुणों से युक्त।
    2. त्वचा रोगों के उपचार में उपयोगी।

पंचगव्य चिकित्सा का उपयोग कैसे करें?

  1. पीने योग्य पंचगव्य मिश्रण:

    • 20-30 मिली गोमूत्र + 1 गिलास गुनगुना पानी = सुबह खाली पेट सेवन करें।
    • 1 चम्मच घी + 1 कप गर्म दूध = मानसिक शक्ति और पाचन सुधार के लिए।
    • 1 कटोरी दही + शहद = प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए।
  2. त्वचा रोगों के लिए पंचगव्य लेप:

    • गोबर + हल्दी + नीम पत्ते पीसकर त्वचा पर लगाने से फंगल इन्फेक्शन और एक्जिमा में लाभ।
  3. नेत्र स्वास्थ्य:

    • गाय के घी से नेत्रों में त्राटक (गाय के घी का दीपक जलाकर देखने की विधि) से आँखों की रोशनी बढ़ती है।
    • आयुर्वेद में गौमूत्र को औषधीय रूप में उपयोगी बताया गया है, और इसे शुद्ध करके आँखों में डालने से नेत्र रोगों में लाभ मिल सकता है।

      गौमूत्र नयन (आँखों) चिकित्सा के लाभ:

      नेत्रज्योति बढ़ाए – आँखों की रोशनी में सुधार करता है।
      मोतियाबिंद में सहायक – शुरुआती अवस्था में लाभकारी।
      नेत्र संक्रमण दूर करे – बैक्टीरिया और वायरस जनित संक्रमण को समाप्त करता है।
      आँखों की जलन और खुजली कम करे – शीतल प्रभाव देता है।
      आँखों के अंदर की गंदगी को बाहर निकाले – डिटॉक्सिफिकेशन करता है।

      गौमूत्र की शुद्ध करने की विधि:

      1️⃣ देशी गाय का गौमूत्र लें (गिर, साहीवाल, हरियाणवी नस्ल)।
      2️⃣ 8 बार मलमल के कपड़े से छानें ताकि अशुद्धियाँ निकल जाएँ।
      3️⃣ इसे कांच की शीशी में भरकर छायायुक्त स्थान पर रखें।

      प्रयोग विधि:

      • दिन में एक या दो बार 1-2 बूंद आँखों में डालें।
      • आँखें बंद करें और 1-2 मिनट आराम करें।
      • हल्की जलन हो सकती है, जो सामान्य है।
  4. पंचगव्य स्नान:

    • गोमूत्र, गोबर और दही का मिश्रण स्नान के पानी में डालकर स्नान करने से शरीर ऊर्जावान और रोगमुक्त रहता है।
  5. सिरदर्द 

आयुर्वेद के अनुसार गाय के घी की एक बूंद नाक में डालने से सिरदर्द, माइग्रेन और सिर से संबंधित अन्य रोगों में लाभ होता है। इसे "नस्य चिकित्सा" कहा जाता है, जो पंचकर्म की एक विधि है।


गाय के घी के नस्य के लाभ:

सिरदर्द और माइग्रेन में राहत – घी दिमाग को ठंडक देता है और तनाव कम करता है।
मस्तिष्क शक्ति बढ़ाए – याददाश्त और एकाग्रता में सुधार होता है।
नींद में सुधार – अनिद्रा की समस्या में फायदेमंद।
साइनस और नाक की सूजन में लाभ – नाक की नलिकाओं को साफ करता है और सांस लेना आसान बनाता है।
आँखों की रोशनी बढ़ाए – नियमित नस्य से दृष्टि में सुधार होता है।

नस्य करने की विधि:

1️⃣ सोने से पहले या सुबह खाली पेट गाय के घी की 1-2 बूंद दोनों नथुनों में डालें।
2️⃣ लेटकर हल्का ऊपर देखें और धीरे-धीरे सांस लें।
3️⃣ कुछ देर आराम करें, जिससे घी दिमाग तक पहुंचे।

💡 विशेष सलाह:

  • घी गाय का देशी घी ही होना चाहिए।
  • सर्दी-जुकाम में नस्य न करें।
  • माइग्रेन और लगातार सिरदर्द के लिए नियमित करें।

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स्वामी दयानंद प्राकृतिक चिकित्सालय: पंचगव्य चिकित्सा क्या है?
पंचगव्य चिकित्सा क्या है?
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