ब्रह्मचर्य के पालन से आप लालच से बच सकते हो ब्रह्मचर्य के पालन से आप लालच से बच सकते हो व इसे अपने काबू में रख सकते हो
जब मनुष्य ब्रह्मचर्य का पालन करता है तो इसका एक लाभ यह होता है इससे सदा के लिए मन का लालच ख़तम हो जाता है क्योकि ब्रह्मचर्य में हम ब्रह्म का ध्यान करते है हमेशा | व जब ध्यान करते है तो हमे याद आता है के परत्मात्मा ने सबकुछ दिया है हमारे जीवन में परत्मात्मा ने किसी चीज की कमी नहीं रखी |
१. खाने के लिए २४ घंटे भोजन ही पैदा कर रहा है परमात्मा किसी भी खेत में जाओ परमात्मा अनाज को पैदा कर रहा है किसी भी बगीचे में जाओ परमात्मा हमारे लिए फल पैदा कर रहा है कोई उसका मूल्य परमात्मा हम से नहीं मांगता,
२. हर रोज सूरज की रौशनी देता है |
३. वृक्षों के पते हिला कर हर समय ऐसी से भी ठंडी हवा दे रहा है
४. सोने के लिए रात व धरती माता भी पैदा की जिस की गोद में हम सो सकते है
५. चलने के लिए पैर दिए
६. प्यास लगे तो जल भी दिया
७. शरीर में बल, शक्ति बुद्धि बढ़ाने के लिए वीर्य भी पैदा किया है उस परमात्मा ने
८. कपड़े के लिए कपास भी पैदा कर रहा है परमात्मा
९. कार्य करने के लिए हाथ भी दिए है जैसे मैं हाथों से यह लिख रहा हु पर यह हाथ उसी के दिए है
१०. देखने के के लिए ऑंखें भी दी , सुनने के लिए कान भी दिए , सोचने के लिए मन व बुद्धि भी दी
मैं यहां सिर्फ लिखता जाऊंगा मेरी जिंदगी ख़तम हो जाएगी पर परमात्मा के दिए मुफ्त के वरदान ख़तम नहीं होंगे जब मनुष्य को यह चीजे पता लगती है तो वह सोचना बंद कर देता है के मेरे पास किसी चीज की कमी भी है |
जब चीज की कमी ही नहीं महसूस करता तो लालच भी नहीं मन में आ सकता | मन में किसी को धोखा दे कर लूटने का विचार भी मन में नहीं आ सकता | लालची तो वो होगा जिसके मन में अपनी वासना को पूरा करने की लालच होगा व उसके लिए वह छल , कपट व धोखे का सहारा ले कर धन एकठा करेगा | जब मन में वासना का स्थान ही नहीं वो उस परमात्मा ने ले लिया तो लालच वह रह ही नहीं सकती | उल्टा वो तो सोचेगा भगवान ने मुझे ज्यादा दिया है इस लिए इसे उनको बांटे जिनको इसकी जरूरत है |
ब्रह्मचर्य का ९७वा लाभ - भगवान के दिए वरदानो के लिए कर्तज्ञ होना
कृतज्ञ होने से मनुष्य हमेशा प्रेसन रहता है व उसकी टेंशन एक मिनट में शु मन्त्र हो जाती है | ब्रह्मचर्य के पालन करने से हमे यह कृतज्ञ होने का अच्छा गुण प्राप्त होता है क्योकि जब ब्रह्मचारी को पता लगता है के परमात्मा बिना कोई कीमत लिए अनंत चीजे उसको दे रहा होता है तो उसका दिल करता है के वह उस परमात्मा के नत मस्तक हो जाये व लाख लाख बार धन्यवाद करे | वह रोज परमात्मा का धन्यवाद करना शुरू कर देता है | वह सुबह भी लाख लाख बार परमात्मा का धन्यवाद करता है व दोपहर को भी , व रात को भी | इस तरह उसकी पूरी जिंदगी कर्तज्ञ होने में बीत जाती है व इससे उसे खुशियों का सागर मिलता है , खुशियों के मोती मिलते है जो
अमूल्य है
विषय वासना हमे स्वार्थी बनाती है | इस में हम ऐसे दुकानदार बनते है जो ४२० है
मान लीजिए, हम ने उसके ऊपर विश्वास करके २००० रुपये सामान खरीदने से पहले ही दे दिए | १ घंटा हमे समान की खोज में लगा | बाद में फिर हम से वो २००० मांगने लग जाये व यह स्वीकार ही नहीं करे के हम ने उसे पैसे दिए
कैसा लगेगा आप को वो दुकानदार , एक धोकेबाज, एक चरित्रहीन व्यक्ति जो आप के विश्वास के उपकार को नहीं मानता |
क्या यह सच नहीं हम जो परमात्मा ने अनत उपकार हम पर किये है वो मानते भी नहीं व उसका धन्यवाद के लिए कुछ पल शांत भी नहीं होते बल्कि अशांत मन से हमेशा और और वासना चाहिए को चिकते हुए दुःख का कष्ट उठाते है
तो आओ परमात्मा के उपकारों को याद करके उसका धन्यवादी बनने के लिए आज से ही ब्रह्मचर्य के व्रत का पालन शुरू करे
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