वह है परमात्मा का धन्यवादी होना उसके उपकारों के लिए कर्तज्ञ होना
कृतज्ञ होने से मनुष्य हमेशा प्रेसन रहता है व उसकी टेंशन एक मिनट में शु मन्त्र हो जाती है | ब्रह्मचर्य के पालन करने से हमे यह कृतज्ञ होने का अच्छा गुण प्राप्त होता है क्योकि जब ब्रह्मचारी को पता लगता है के परमात्मा बिना कोई कीमत लिए अनंत चीजे उसको दे रहा होता है तो उसका दिल करता है के वह उस परमात्मा के नत मस्तक हो जाये व लाख लाख बार धन्यवाद करे | वह रोज परमात्मा का धन्यवाद करना शुरू कर देता है | वह सुबह भी लाख लाख बार परमात्मा का धन्यवाद करता है व दोपहर को भी , व रात को भी | इस तरह उसकी पूरी जिंदगी कर्तज्ञ होने में बीत जाती है व इससे उसे खुशियों का सागर मिलता है , खुशियों के मोती मिलते है जो
अमूल्य है
विषय वासना हमे स्वार्थी बनाती है | इस में हम ऐसे दुकानदार बनते है जो ४२० है
मान लीजिए, हम ने उसके ऊपर विश्वास करके २००० रुपये सामान खरीदने से पहले ही दे दिए | १ घंटा हमे समान की खोज में लगा | बाद में फिर हम से वो २००० मांगने लग जाये व यह स्वीकार ही नहीं करे के हम ने उसे पैसे दिए
कैसा लगेगा आप को वो दुकानदार , एक धोकेबाज, एक चरित्रहीन व्यक्ति जो आप के विश्वास के उपकार को नहीं मानता |
क्या यह सच नहीं परमात्मा ने अनत उपकार हम पर किये है वो मानते भी नहीं व उसका धन्यवाद के लिए कुछ पल शांत भी नहीं होते बल्कि अशांत मन से हमेशा और और वासना चाहिए को चिकते हुए दुःख का कष्ट उठाते है
तो आओ परमात्मा के उपकारों को याद करके उसका धन्यवादी बनने के लिए आज से ही ब्रह्मचर्य के व्रत का पालन शुरू करे
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