जब मनुष्य ब्रह्म को ही अपनी दिनचर्या बना लेता है , ब्रह्म को याद करते ही सारा दिन बिता देता है | ब्रह्म से ही उसकी रात बीत जाती है तो वह जान जाता है |
यह संसार नाशवान है यह सारी प्रकृति नाशवान है इस से कभी भी मोह नहीं रखना इसको समझ कर ब्रह्म जो कभी नाश नहीं होता , उससे मोह रखना , उससे नाता जोड़ना ही ब्रह्मज्ञान है
जो संसारी व्यक्ति को कभी नहीं हो सकता जो ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करता | बाद में जब धीरे धीरे कर के उसके मोह वाली चीजे ख़तम होती जाती है तो वापस वो परमात्मा की तरफ लोटता है
क्योकि संसार नाशवान है व आप का इसके के साथ विषय मोह है पर इसका अंत है घोर दुःख
क्योकि परमात्मा अमर है व आप का इसके साथ आत्मिक मोह है पर इसका का अंत है अंतहीन आनंद
माया तो ठगनी , ठगत फिरत संसार
जिस ठग यह ठगनी ठगी , उस ठग को नमस्कार
इस ब्रह्मज्ञान से हमेशा की ख़ुशी प्राप्त होती है जो कभी दुःख में नहीं बदलती क्योकि आप ज्ञान के उजाले में आ जाते हो व अँधेरा जो अज्ञान का था वो ख़तम हो जाता है
खुदा देता है जिनको ऐश उनको ग़म भी होते है
जहां बजते है नक्कारे वह मातम भी होते है
आज पूरा संसार विषय सुख को असली समझ बैठा है यह ब्रह्मज्ञान नहीं यह तो अज्ञान है
मैं प्राकृतिक डॉक्टर हो हजारों पेशेंट्स से मिला व जिन्होंने भी विषय से सुख की कामना की वो आज रोगी होकर दुखी है
क्योकि
जहां भोग , वहाँ रोग
जहां परमात्मा से योग, वहां निरोग
खुदा को भूल गए लोग फ़िक्रे रोजी में
ख़याले रिजक है राजक का कुछ ख्याल नहीं
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