ब्रह्मचर्य की 365 दिन की चुनौती के दूसरे दिन में आप का स्वागत है | यदि आप ने " ब्रह्मचर्य की 365 दिन की चुनौती - पहले दिन " को नहीं पड़ा तो पहले पड़ ले | आज इस दिन आप को प्रेम व वासना में अंतर् करना सिखायेगे | फिर प्रेम व नफरत का अंतर सीखेंगे |
प्रेम सबसे पवित्र वास्तु है व वासना सबसे अपवित्र वास्तु है | आज आप ने अपना पूरा दिन प्रेम हर किसी से प्रेम करना है | दुनिया में सबसे बड़ा प्रेम माँ व बेटे का होता है | माँ निस्वार्थ बेटे से प्रेम करती है | इसकी कोई कीमत नहीं लगा सकता |
बेटे का भी माँ से प्रेम सबसे पवित्र है बेटे का माँ से प्रेम करना, माँ के किये अनगिनत उपकारों का व बलिदानों के लिए श्रद्धा सुमन होता है | जहां माँ शब्द निकलता है वहा वासना शब्द खड़ नहीं सकता | आपकी नजरे माँ के आगे प्रेम से झुक जाती है | माँ शब्द कहने से जीवन में उत्साह व शक्ति पैदा हो जाती है | क्यो न आज इस दूसरे दिन इस की शक्ति में विश्वास रखा जाये अपने ब्रह्मचर्य के पालन में
१. आज मैं यह संकल्प करता हु कि जैसे मैं अपनी माँ से प्रेम करता हु वैसे ही इस विश्व की हरेक स्त्री में मैं अपनी माँ को देखूगा व अपनी माँ समझ कर उन से प्रेम करुगा
२. जब जब मेरे मन में किसी स्त्री को देखने से वासना उत्पन होगी तब तब मैं उच्ची आवाज में कहुगा | यह मेरी माँ है व मैं इसका बेटा हूँ
३. जब जब मेरे मन में किसी स्त्री को देखने से वासना उत्पन होगी तब तब मैं अपनी ऑंखें बंद कर लूंगा व अपनी कल्पना शक्ति का इस्तमाल करुगा | जिस स्त्री को मैंने देखा | मैं उसके गर्भ में आ गया हु व मैं उसके पेट में ९ महीने का बच्चा हो गया हूँ व अपनी माँ से सिर्फ मैं माँ माँ माँ माँ माँ माँ माँ माँ माँ माँ बोलना सिख रहा हूँ
४. जब मैं किसी स्त्री को देखूगा तो अपनी माँ के बलिदान को याद करने वाला यह गीत गाने लग जाऊंगा
माँ है त्याग का नाम, माँ है बलिदान का नाम
माँ है जीवन का नाम , माँ भगवान का नाम
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है |
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है | |
माँ है जीवन की आस , माँ है जीवन की साँस
माँ है जीवन की उम्मीद , माँ है जीवन की आशा
माँ है जीवन का आकाश , माँ है जीवन का प्रकाश
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है |
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है | |
जिस ने हर चीज में माँ को पा लिया
उसने हर चीज में ख़ुशी को पा लिया
जिसने विषयों में फस कर माँ को भुला दिया
उसने दुखों से अपने जीवन को बना दिया
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है |
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है | |
माँ के नाम से ही मन मुस्कुराता है
माँ के नाम ही दिल खिलखिलाता है
माँ के नाम ही आती है शक्ति
माँ के नाम ही मिल जाती है बल व् बुद्धि
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है |
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है | |
माँ ही बोलना सिखाती है
माँ ही चलना सिखाती है
माँ ही गाना सिखाती है
माँ ही ख़ुशी हो या गम हसना सिखाती है
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है |
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है | |
माँ की ममता को पैसों से तोला जा नहीं सकता
माँ के प्यार को पैसों से ख़रीदा जा नहीं सकता
माँ की क्षमता को आंका जा नहीं सकता
माँ तो बच्चे के लिए मौत खेल सकती है
माँ अपनी जान देकर जीवन दे सकती है
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है |
तो बोलो तू ही सबकुछ है माँ , माँ तु ही सब कुछ है | |
ब्रह्मचर्य को तोड़ने से पुरुष के निम्नलिखित रोग आएंगे:
1. वैरिकोसेल
2. हाइड्रोसील
3. कम शुक्राणुओं की संख्या
4. प्रोस्टेटाइटिस
ब्रह्मचर्य भंग करने से स्त्री के निम्न रोग आएंगे:
1. अंडाशय का सिस्ट
2. फाइब्रॉएड
3. पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग
4. एंडोमेट्रियोसिस
व ब्रह्मचर्य पालन करने से हर बीमारी ठीक हो जाएगी
मृत्युव्याधिजरानाशी पीयूष परमषधम
ब्रह्मचर्य महदर्तन सत्यमय वदाम्यहम
अर्थात सभी रोगों, वृद्धावस्था और मृत्यु को नष्ट करने के लिए केवल ब्रह्मचर्य ही महान औषधि है। मैं सच बोल रहा हूँ। यदि आप शांति, सौंदर्य, स्मृति, ज्ञान, स्वास्थ्य और अच्छे बच्चे चाहते हैं, तो आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
अब सबके मूल में है मन में से नफरत को हटाना
१. तो आज संकल्प करे , मैं किसी से नफरत नहीं करूगां
२. मैं किसी से घुसे से बात नहीं करुगा
३. मैं किसी को अपने नफरत के शब्दों से घायल नहीं करूगां |
४. अपने मन में नफरत व क्रोध के विचारों से मैं अपना खून नहीं सुकाऊगां |
५. सबमें उस परमपिता को देख कर हर किसी से प्रेम करुगा
६. यदि किसी ने आप को नफरत से बोला है या क्रोध से बोला है तो आप ने यह सोचना है यह तनाव में है इसलिए इस से ऐसा बोला गया | आप ने अपने प्रेम का साबुत देते हुए उसको माफ़ कर देना है | क्योकि आप की यहां चुनौती क्रोधी को जवाब क्रोध से देने की नहीं आप को तो ब्रह्मचर्य का आज पालन करने की है | क्रोध से मुँह से गाली निकल जाती है जिस से अश्लील शब्दों को बोलने से ही आप का ब्रह्मचर्य नष्ट हो जाता है |
आये आज यह शब्दों को दोहराएँ
१. स्वामी दयानंद जी अपने गुरु को वचन दिया था | के वह सारी उम्र ब्रह्मचारी रह कर भारत के अज्ञान को ख़तम करेंगे | वो वो सफल हुए | कई बार उनका ब्रह्मचर्य खंडन करने की चालें चिली गयी पर स्वामी दयानंद जी हर स्त्री को माँ समझते थे यह तक के छोटी लड़की भी खेल हो तो उसे भी माँ समझ कर सिर झुका कर चले जाते थे | उनका यही कहना था | स्त्री का मतलब एक ब्रह्मचारी के लिए सिर्फ माँ होता है , चाहे वह छोटी है या बड़ी है | आओ उनसे शिक्षा ले व हर स्त्री को आज से माँ कहना शुरू करें |
२. श्री लक्ष्मण जी ने सीता जी के साथ १४ वर्षों के लिए वनवास गए | श्री राम जी की वह धर्म पत्नी थी | व श्री लक्ष्मण जी की भाभी | पर श्री लक्ष्मण जी ने उन्हें माता का सम्मान दिया व वह अपनी माता के सम्मान उनके चरणों को छू कर आशीर्वाद लेते थे | यह है हमारे भारतीय गुरुकुलों की शिक्षा , जहां १४ वर्ष इसी माँ शब्द से लक्ष्मण जी ने ब्रह्मचर्य का पालन किया | व हनुमान जी भी राम जी के भगत थे वो भी ब्रह्मचारी थे व सीता जी को माता जी कहते थे | आओ आज हम अपने ऋषियों की परपराओं पर चले व हर स्त्री को माँ का सामान दे |
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