यदि आप के दूसरों के साथ सबंध ठीक नहीं है तो इसका साइड इफ़ेक्ट होता है आप की बीमारी ठीक नहीं होती | क्योकि जहां अच्छा संबंध नहीं है वहा तो सिर्फ गंदे संबंध ही रह सकते है | व यदि आप के दूसरों व सामने वालो के साथ व अपने परिवार के साथ व अपने रिश्तेदरों के साथ , अपने दोस्तों के साथ अपने कस्टमर्स के साथ व विश्व के साथ अच्छे संबंध नहीं है तो यदि आपकी की घृणा बड़ा दे, यही आप के व्यापार में घाटा दे कर आप को तनाव ग्रस्त कर दे, यही आप के क्रोध, इर्षा द्वादश व एहंकार को बड़ा दे जिस से आप की बीमारी हमेशा बढ़ती है पर कभी ख़तम नहीं होती | यह सिर्फ आप के शरीर में नकरात्मक हार्मोन्स पैदा करेगा व आप की बीमारी को और बड़ा देगा
जब एक अच्छे सबंध बनाने से आप तनाव मुक्त होंगे, आप की केयर करने के लिए बहुत सारे दोस्त होंगे, आप ज्यादा शांति, प्रेम, भाईचारे व शांति का आनंद ले सकते हो, यही सब चीजे आप की बीमारी को ठीक कर के आप को स्वस्थ करते है क्योकि आप का आत्मविश्वास बढ़ जाता है कि आप अकेले नहीं हो पूरा विश्व जिस से आप के संबंध अच्छे है व आप की देखभाल करने के लिए रेडी है | आये चले हम सीखते है किन किन तरीको से आप अपने संबंध अच्छे औरों के साथ बना सकते हो |
1. लोगों की आलोचना, निंदा , बुराई , चुगली और शिकायत न करें |
देखिए एक बीमार व्यक्ति को दूसरे लोगों की आलोचना, निंदा, बुराई, चुगली व शिकायत से परहेज रखना चाहिए | जहा तक हो सके जब तक बीमारी ठीक नहीं हो जाती उसको शांति से प्राकृतिक नियमों का पालन करना चाहिए | क्योकि एक तो इस समय बीमार वियक्ति की शारीरक शक्ति बहुत कम हो जाती है व यदि इस कम शक्ति को भी उन बातों पर waste करेगा जिसका कोई लाभ नहीं तो बीमार व्यक्ति की बीमारी कभी भी ठीक नहीं होगी | दूसरा, जब हम दूसरे लोगो की आलोचना, निंदा, बुराई व चुगली करते है तब दूसरा व्यक्ति भी अपने बचाओ के लिए व अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए आप के ऊपर भी जूठे आरोप लगाएगा | जिस से आप को मानसिक चोट पहुंचेगी | जिस से आप के मन में नकरात्मक विचार जैसे उस वियक्ति से नफरत करना ,व उससे क्रोध से बात करना | क्या यह आप के लिए सही है | क्योकि इस से आप अपने खून को सूखा रहे हो जिस में इम्युनिटी सेल है व इस से आप की बीमारी और भी बढ़ जाती है |
शकायत करने का भी यह सही समय नहीं ही क्योकि ऐसा करने से कुछ हासिल नहीं होगा सिर्फ आप में नकरात्मक भावना और बढ़ जाएगी | चलो सीखते है कैसे
मान लीजिये
एक बीमार व्यक्ति है जो अपनी की जटिल बीमारी से बीमार है | व पिछले पांच साल से उसकी बीमारी ठीक नहीं हुयी | उसने अभी तक बहुत सारे डॉक्टर की मेडिसिन खा ली पर अभी तक उसकी बीमारी बड़ी है कम नहीं हुयी जिस की वजह से उसकी सेहत व धन का काफी नुकसान हो गया है| जिसका उसे मानसकि तनाव है व इसके लिए वह सभी डॉक्टर को दोषी मानता है व जम कर उनकी बुराई, निंदा, चुगली व आलोचना करता है
उसे एक नए डॉक्टर का पता उसे यूट्यूब से लगा | जिस का नाम डॉ. विनोद कुमार है |
बीमार व्यक्ति : मैं बीमार व्यक्ति हूँ जो अपनी की जटिल बीमारी से बीमार हूँ | व पिछले पांच साल से उसकी बीमारी ठीक नहीं हुयी | मेरी बीमारी ठीक करने में मदद की जिए |
विनोद कुमार : बीमार व्यक्ति से बात करने के बाद, देखिए मेरे पास कोई मेडिसिन नहीं है, हा मैं आप को अपना "Personal Treatment " दे सकता हूँ जिस में प्राकृतिक नियम होंगे, इसकी फीस Rs. 15000 तीन महीने की है | इसका कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है व यह आप को साइड इफेक्ट्स से भी बचाएगी |
पेशेंट ने सुना व फोन रख दिया व व्हाट्सप्प मैसेज देना शुरू कर दिया
बीमार व्यक्ति : मुझे बहुत ही गन्दी गाली निकालते हुए शकायत करने लगा | मैने सोचा था आप मुझे यह personal treatment free दोगे | पर आप भी और सभी डॉक्टर की तरह चोर व डाकू निकले |
पिछले चोर डॉक्टर नहीं मेरे सारे धन को लूट लिया है { मेरे सामने और डॉक्टरों की मुझ से शिकायत } व अब आप की तयारी है |
फिर गाली निकालते हुए ( मन में क्रोध और बढ़ गया है बीमार वियक्ति का ) भाग यह से, तेरे जैसे बहुत देखे है
तेरे को कुछ नहीं आता, तूने किसी को ठीक नहीं किया, एक दो testimonial लोगों को खरीद के बनाये है | तू पूरा 420 है , तेरे को नर्क नसीब नहीं होगा
( फिर मेरी आलोचना, बुराई व निंदा शुरू हो गया )
तू बीमार व्यक्तियों की बीमारी का फायदा उठा कर यूट्यूब वीडियो बना कर व्हाट्सप्प पर उनसे पैसे लूटने का धंधा चलाता है | तेरे को जेल में होना चाहिए |
जा दफा हो जा, एक गरीब, बेसहारा, बीमार व्यक्ति को लुटते तेरे नहीं आती, सबकी तेरे को बद दवा लगेगी |
मैंने यह सब पड़ा व अपनी ऑंखें बंद की व अपने भगवान् का ध्यान किया जिस ने मेरे शरीर व उसके शरीर को बनाया है | मैं भगवान् का धन्यवादी हु जी उन्हें मुझे इन घायल करने वाले शब्द बाणों को सहन करने की शक्ति दी वा मुझे ज्ञान दिया जो मैं उसको फ्री दे सकता हूँ |
मैंने लिखना शुरू किया
मेरा उत्तर : प्रिय दोस्त, मैं आप का धन्यवादी हूँ क्योकि
(१) आप के पास जो था आप ने मुझे दे दिया | बिना पक्षपात के | बिना मुझ से किसी सेवा की आशा किये |
( २) मैं आप के साहस की प्रशंसा करता हूँ | आप काफी साहसी व्यक्ति हो | जिस में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की शक्ति है |
(३) आप के मन में जो था व आप ने मन में नहीं रखा | व मुझे अपने मन की बात बता दी | यह भी आपका प्रशंसनीय कार्य है | क्योकि आप उन हजारों से अच्छे हो जो पीठ पीछे हजारों लोगो से डॉक्टर विनोद की बुराई करते है |
पर मुझे अफ़सोस है , आप इतनी ऊर्जा आलोचना करने, निंदा करने, बुराई करने व शिकायत करने में खर्च कर देते हो, जिस का कोई लाभ मुझे प्रतीत नहीं होता | उल्टा आप का क्रोध, आप की नफरत आप को ही अंदर से जला रही है |
आप का लक्ष्य अपनी बीमारी को जड़ से ख़तम करना है | Rs. 15000 आपसे मांगने से पहले यूट्यूब फ्री वीडियो भी बनाया था |
स्पष्ट लिखा था , इसके यूट्यूब वीडियो के टाइटल में
आप की बीमारी का बिना दवाई व ओपराशिन प्रकतिक इलाज
उसमें ५ या १० पॉइंट बोले थे | सब वीडियो में कॉमन ही होते है |
क्या यह अच्छा नहीं है
आप आज से संकलप ले ले, चाहे डॉक्टर विनोद कुमार में बहुत औगुण है, वह किसी भी कीमत में एक डॉक्टर कहलाने के योग्य नहीं | पर उसकी बात तो आत्मा से निकली है जिस की वजह से वो मुझे खींच गयी है, उसके व्हाट्सप्प पर उनसे बात करने के लिए , जैसे चुम्बक लोहे को खींच लेता है , जैसे पारा सोने को खींच लेता है , जैसे बछड़ा हजारों गायों में से अपने माँ के पास खींचा चला आता है, जैसे सूर्य सभी अँधेरे को अपने पास खींच लेता है, जैसे कमल का फूल, दलदल में अमृत जल को खींच लेता है, यह आत्मा जो डॉक्टर विनोद की है यह तो परमात्मा ने बनाई थी, जैसे आपकी आत्मा को बनाया है , इस लिए उस फ्री सलाह को मान ले
व सभी डॉक्टर के पास जा कर अपनी ऊर्जा ख़तम करना बंद करे |
मेरे नियम मेरे नहीं परमात्मा के हुक्म है व वह पालन करे , मुफ्त है
१. प्रातकाल उठे | पानी पी कर परमात्मा के वरदानो के लिए धन्यवाद करे , बीमारी की वजह से हो सकता है, एक अंग आप का सही कार्य न रहा हो पर , परमत्मा ने शरीर 10 Crore से भी ज्यादा अंग बनाये है , जो आप के सब ठीक है उसके लिए उसका धन्यवाद दे |
२. पेट साफ़ करके योग, आसान, ध्यान व लंबा पैदल चले
३. सुबह शाम सिर्फ फल खाये और कुछ न खाएं
४. दोपहर को उबली दाल व सब्जी के साथ सदा भोजन सलाद समेत ही खाये
५ रात को 8 बजे सो जाये सोने से पहले भगवान् का एक भर फिर धन्यवाद करे
इतना करने से ही सब बिमारी ठीक हो जाती है | क्योकि यह नियम भगवान् ने बनाये है | किर्प्या पालन करे |
आलोचना करने से, बुराई करने से, निंदा करने से व शिकयत करने से व चुगली करने से आप का ध्यान ऊपर के नियमों को पालन करने में नहीं जाता व आप हमेशा ही बीमार रहते हो |
क्योकि कहा गया है
कर्म ही पूजा है
बिना कर्म किये सारा ज्ञान, लक्ष्य व योजना मिटी है
आप ने सिर्फ अच्छे कर्मों पर ध्यान केंद्रित करना है व इनके अच्छे ही फल होंगे क्योकि परमात्मा हर कर्म का फल देता है | जैसे आपके के मुझ को लिखने के कर्म से यह ज्ञान रूपी फूल प्राप्त हुआ है वैसे ही सेहत के अच्छे कर्मों से आप का लक्ष्य बीमारी को जड़ से ख़त्म करने का वो भी पूरा होगा |
एक बात और भी ध्यान दे बीमार वियक्ति का यह भी लक्ष्य था के डॉक्टर विनोद यह बीमार से 15000 मांगने वाला कार्य बंद कर दे उसमें सुधार हो जाये व तन, मन धन से मुफ्त में बीमारों का इलाज करे,
पर हुआ तो उल्टा ही मैं (डॉक्टर विनोद कुमार ) उसको ही ज्ञान की बाते बताने लग गया | इसी तरह सबके साथ होता है व कोई भी आलोचना करने से , निंदा करने से, बुराई करने से , शिकायत करने से नहीं सुधरता | सुधार तब आता है जब हम खुद सुधरने के लिए संकल्प लेते है |
२. दूसरों की आलोचना करने से पहले अपनी गलतियां गिनना
यदि बीमार व्यक्ति की मज़बूरी है दूसरों की आलोचना करना व सत्य ही बताना चाहता है पर इस से उसकी बीमारी बढ़ने वाली है फिर भी उसकी अपने दिल की इच्छा है के इस से उसे ख़ुशी प्राप्त होगी सत्य को बता के | कि दूसरे व्यक्ति ने बहुत भारी गलती की है , पर इस को कहने से पहले बीमार व्यक्ति को अपनी गलतिया डिटेल्स में बतानी चाहिए |
मान लीजिए एक पेशेंट एक दुकानदार से झगड़ा करता हुआ दुकान दार की आलोचना करता है
आप का पुराना व ख़राब आटा खाने से मैं बीमार हो गया हु आप ठग हो, आप लोगो को बीमार करने के के लिए यह घटिया सामान बेचते हो | आप को जेल में होना चाहिए, आप की दुकान मैं बंद कराऊंगा व मैं आप के ऊपर केस करूगां |
देखिये एक इस से आप का संबंध दुकानदार से ख़राब हो जायेगा
दूसरा वह भी आप पर ब्लेम लगाएगा कि आप जुठ बोल रहे हो
तीसरा वह भी यह कहेगा के वह आप के ऊपर केस करेगा के जुठ बोल कर आप ने उसकी २० साल की प्रतिष्ठा को देस पहुचायी है
इस से आप को सिर्फ नफरत , गुसा व डर ही पैदा होगा जो आप की बीमारी को और बड़ा देगा
इस लिए, आप को अपनी सच्ची गलतियों की सूचि बना ले जो पहले बतानी है
(A ) प्रिये दुकानदार जी , मैं पिछले दिनों काफी बीमार हो गया था, जिस में मेरी बहुत सारी गलतियां की थी
मैं अपने work का स्ट्रेस बहुत लेने लग गया था | व जल्दबाजी में मैंने मैं अच्छी सर्विस नहीं दे सका जिस के लिए मेरे क्लाइंट्स का उकसान भी हुआ व मेरी इस स्ट्रेस से सेहत भी ख़राब हुए | इसके इलावा मैं व्यायाम नहीं किया, जिस की वजह से शरीर से मेरा टोक्सिन नहीं निकला व मैं काफी बीमार हो गया था |
फिर मुझे डॉ. विनोद कुमार मिले उन्होंने मुझे सेहत के नुक्से बताये | उसने मेरी बीमारी का कारन स्ट्रेस लेना व जल्बाजी में गलत चीजे कर के पछताना | इस लिए मैं अब धीरे सावधानी से एक एक कार्य करता हु व स्ट्रेस नहीं लेता | आप मेरे मित्र है, मैंने कई बार देखा है आप भी बहुत जल्द बजी में कार्य करते है मेरी आप को भी सलाह है कि आप भी सावधानी से धीरे धीरे बिना स्ट्रेस से कार्ये जिस से आप के सभी कार्य अच्छे होंगे | पिछले दिनों मैंने आप से कुछ आटा ले गया था, इसी जल्दबाजी में मुझे लगता है के आप ने पुराणी कर्णक पीस ली है जो खाने में मुझे अच्छी नहीं लगी , यह पहली बार हुआ है | मुझे उम्मीद है कि आप इसका ध्यान रखेंगे जिस से आप को व आपके ग्राहकों को ख़ुशी होगी |
३ . जब सामने वाला आप की आलोचना करे तो इसे सेहन करके मन में उसे माफ़ कर दे
अब आप को पता लग गया है के दूसरों की निंदा, बुराई व आलोचना नहीं करनी चाहिए इसका कोई लाभ नहीं होता, यदि कोई हमारी ही निंदा व आलोचना व बुराई हमारे समने करे तो यह तीन चीजे याद रखे
a) मैं आपकी प्रशंसा व धन्यवाद करता हु आप ने मेरे सामने ही मेरी बुराई की आप उन हजारो से अच्छे हो जो मेरे मुँह पर मेरी नकली चापलूसी करते वा मेरी पीठ पीछे हजारों बुराई करते है |
b) उस समय शांत हो जाये व मन में सोचे, मैंने इसको माफ़ कर दिया है क्योकि इस समय मुझे विश्वास है इस की सोच सकरात्मक नहीं ही | व यदि मेरी फ्यूचर में गलती होगी तो मैं माफ़ी मांग लूंगा
c ) वहा से दूर चले जाये जितनी जल्दी हो सकते व कहते जाये, अभी मैं आप से सहमत नहीं हु, अहसहमति के लिए क्षमा चाहता हु, मुझे और वर्क है फिर बाद में इस विषय पर बात करेंगे |
४ . दूसरों की सच्ची तारीफ करे
यदि आप दूसरों की सच्ची तारीफ छोटी बातों के लिए हर रोज करेंगे तो एक इस से आप के संबंद ठीक हो जायेंगे दूसरा आप की बीमारी भी इस से ठीक होगी | आएं जाने कैसे आपकी बीमारी दूसरों की सच्ची तारीफ करने से ठीक होती है |
A ) जब आप सच्ची तारीफ करते हो तो आपके अंदर पॉजिटिव हार्मोन्स पैदा होते है, क्योकि आपने तारीफ इस लिए की क्योकि आप दूसरों से प्रेरित हुए या आप को कोई लाभ प्राप्त हुआ |
( B ) आप की जब आदत बनती है दुसरो की सच्ची तारीफ करने की तो आप का ध्यान दूसरे लोगो की अच्छी बातों पर होता है व आप का ध्यान दूसरों की ख़राब बातों पर नहीं जाता जिस की वजह से मेरे अंदर बुराई नहीं आती , यह बुराई ही तो टोक्सिन है जो आप की बीमारी बढ़ाता है | और अच्छाई आप की बीमारी घटाती है
५. दूसरे के नजरिये से देखने के कोशिश करे
यदि आप आप अच्छे सबंध बना कर अपनी बीमारी ठीक करना चाहते हो तो दूसरों के नजरिये से देखने की कोशिश करे | यदि आप को ९ दीखता है तो दूसरे को ६ दीखता है , आप ९ देखने की जिद न पकडे व ६ उसकी साइड देखने की कोशिश करे | एक तो इस से आप को एहंकार नहीं आएगा के आप जो कह रहे हो व्ही सही है व दूसरे गलत है दूसरे की बात को आप सुने व उसकी situation की कल्पना करे व उसके साथ सहनुभूति देखए | यही निम्रता आप के सबंध अच्छे करेगी व आप को क्रोध से बचाएगी व आप को शांति से आपकी बीमारी भी ठीक हो जाएगी |
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