हा बिलकुल, उसके लिए आप को ब्रह्मचर्य का व्रत लेना होगा फिर आप को हमेशा ही परमात्मा का ध्यान देना होगा व आप को उससे ही इतना आनंद आने लगेगा के यौन सम्बन्धों से जिंदगी भरी जिंदगी विष तुलिय लगेगी व जैसे जैसे पुरषो में वीर्य बढ़ेगा विषय मुक्ति से व स्त्री में रज बढ़ेगा उनका बौद्धिक विकास , शारीरक बल , ओज व तेज पैदा होना शुरू हो जायेगा
ब्रह्मचर्य के परताप से आप के अंदर के रहस्य खुलने लग जाते है क्योकि आप अंदर आनंद खोजना शुरू कर देते हो जब काम वासना का विचार मन में आता है तो आप कहते हो, रुक जा यही मुझे यह विचार नहीं चाहिए, पर मन का तो कार्य है विचारों को देते रहना
अब उत्तम विचारों से रहस्य खुलेंगे
आप को आतम बोध होगा
नफरत को प्यार से जीता जा सकता है
शिकायत को कृतज्ञ होने से जीता जा सकता है
बेइज्जती को आदर से जीता जा सकता है
औरों की गलतियों को सुधारने के लिए खुद की गलतिया सुधारनी जरुरी है
दुसरो की तरकी देख कर जलने की बजाए खुद का आत्मविश्वास जगाने से जीत प्राप्त होती है
दुःख विषय में है सुख परमात्मा के नाम में
विषय में रहेंगे तो बाद में रोना पड़ेगा , परमत्मा की शरण में रहे तो हमेशा हस्ते रहेंगे
सुबह सोने की बजाए जागने से सुख मिलता है
जुठ को सत्य की ताकत से जीत सकते है
ध्यान एक में लगाने है व बहुत जगह भटकने से ध्यान भी भटक जाता है
परमात्मा सबको ज्ञान दे रहा है जो ज्ञान के योग्य है उसे ही समझ में आएगा
जैसे
सूरज की रौशनी का आनंद वही उठेगा जिसकी आंखे है जो अँधा है उसके लिए दिन और रात एक
सूरज है या नहीं एक
जैसे
कोयल सुबह मीठे गीत गा रही है उसे ही आनंद आएगा जिसके कान है जो बहरा है उसके लिए
कोयल गीत गाये या न गाये एक
जो परमात्मा का ध्यान करेगा उसे वो रहस्य मिलेगा जो उसको नहीं मिल सकता जो उसका ध्यान नहीं करता
वह आंखे होते हुए भी अँधा बन जाता है , कान होते हुए भी बहरा
यह रहस्य उसको पता लगेंगे जो ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे बाकि की बुद्धि में ताला लगा रहेगा
ब्रह्मचर्य के १०० लाभ" के भाग 19 को पूरा पड़े
COMMENTS