"दूसरों से अच्छे संबंध बना कर कैसे अपनी बीमारी ठीक करे" के भाग 3 में आप का स्वागत है | यदि आप ने भाग 1 va 2 नहीं पड़ा तो यहां पड़े va yah पड़े
१ १. सामने वाले व्यक्ति को महत्वपूर्ण अनुभव करना
देखिए एक व्यक्ति जब बीमार होता है तो जो उसके रिश्तेदार होते है जो उससे कटुता रखते है वो उसकी गलतियां बता कर उसको अक्सर ताना देते है | इस लिए बीमार को एक तो इसको भी सेहन कर ले व उन रिश्तेदारों को ध्यान मोड़ने के लिए, वह उनकी प्रशंसा शुरू कर दे जिस से सामने वाला महतवपूरण पेहसुस करेगा व आप से मन में शतुरता नहीं रखेगा | जिस से आप को मन में शांति प्राप्त होगी
कुछ इसकी एक्साम्प्लेस है
a ) आप तो बहुत मेहनती हो
बी) आप तो बहुत बहदुर हो आप सचाई को मनुष्य के सामने कहते हो यह मैं आप से सिख सकता हूँ
स) मुझे आप के घूमने की हॉबी अच्छी लगती है
जब आप दूसरे को प्रेम दोगे तो बदले में आप को प्रेम ही मिलेगा
१ २. दूसरों से बहस न करना
यदि आप बीमार है व आप को दूसरों से बहस करने की गन्दी आदत है तो आप को इसको त्याग देना चाहिए | क्योकि इसका कोई फायदा नहीं होता इस से तीन चीजे ही बढ़ती है
नफरत
क्रोध
द्वेष
व बदले की भावना
इस लिए विद्वानों को चाहिए व बीमारों को भी चाहिए के इस बहस से बचा जाये |
जब भी बहस होती है तब आप को शांत हो जाना चाहिए खुले दिल से कहना चाहिए चलो कोई बात नहीं आप ने मेरी बात को स्वीकार नहीं किया आप का मैं स्वागत करता हु
हो सकता है मैं भी गलत हो बहुत बार गलत हुआ भी हु | अगर गलती मेरी हुए तो मैं स्वीकार कर लूंगा | मेरे से बात करने का आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
१ ३. दूसरे को गलत न कहना
यदि आप दूसरों की गलतियों को देखते हो व उसको गलत कहते हो | आप को यह आदत अच्छे रिश्ते बनाने के लिए व इस से अपनी बीमारी ठीक करने के लिए बदलनी होगी | आप को किसी को गलत नहीं कहना | यह उनकी बुद्विमानी पर आघात के सामान है | आप खुद को बुद्धिमान बनाये व यह कह कर मैं कुछ नहीं जनता | मैं जो कह रहा हु वो भी गलत हो सकता है | मैं मनुष्य हु गलती कर सकता हूँ |
१ ७. खुद की गलती स्वीकार करना
यदि आप ने गलती की है व अभी आप बीमार हो तो एक लिस्ट बनाये जिस में आप ने गलती की हो व जिस से औरों को हार्ट हुआ हो | तो फर्स्ट ऑफ़ आल, अपनी गलती स्वीकार करे | आप को खुल कर दूसरों के सामने अपनी गलती की आलोचना करनी चाहिए जिस से आप दूसरों को उदार बनने का मौका देते हो व वो आप को माफ़ करते है व इस तरह आप में प्रेम बढ़ जाता है जहा प्रेम होता है व बीमारी रह नहीं सकती | अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगने में भी शर्म न करे | इस तरह आप दूसरों को शांत कर सकते हो | कभी भी अपनी गलतियों का excuse न दे | लड़ने से आप को ज्यादा नहीं व हार मान लेने से उम्मीद से ज्यादा मिलता है |
१५. अपनी बात दोस्ताना तरिके से शुरू करे
घुसे से कोई समस्या हल नहीं होती प्रेम से सब समस्यों का हल होता है | इस लिए अच्छे स्मब्ध बनाने के लिए प्रेम का सहारा ले व दोस्ताने तरिके से शुरू करे |
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