
ब्रह्मचर्य का ६६वा लाभ : उत्साह बढ़ना
किसी भी कार्य को करने के लिए आप के ह्दय में उस कार्य के सम्बन्ध में उत्साह होना चाहिए जब हृदय बलवान हो जाता तो आप हर कार्य को करने में उत्साहित होंगे | सिर्फ वीर्यवान व्यक्ति का ह्दय बलवान होता है जहा वीर्यहीन व्यक्ति नरुत्साहित होता है व्ही कार्य वीर्यवान कर देता है |
दूसरी इम्पोर्टेन्ट बात यह है के वह कार्य आप को प्रेरित करे जिस से आप में जोश आ जाये व आप पूरी कोशिश से उसे पूरा कर दे | उत्साह एक गतिमान शक्ति है अब आप ही बताये बिना आप की वीर्य शक्ति से क्या यह शक्ति पैदा हो सकती है ? क्या वीर्य क्षय करने के बाद थका हुआ आदमी किसी भी कार्य को उत्साह से कर सकता है | बिलकुल नहीं इस लिए उत्साह के लिए आप का ब्रह्मचारी बनना बहुत आवश्यक है
आप मुझे कह सकते हो कि आप के हालत बहुत ख़राब है आप को धन की कमी है ऐसे में आप कैसे अपने कार्य में उत्साहित हो सकते हो तो मैं यही कहुगा के यह आप इस लिए कह रहे हो क्योकि आप ने वीर्य रूपी धन कभी एकठा किया ही नहीं
मान लीजिये आप की उम्र ३० वर्ष है व हर ४० दिन के बाद आप का वीर्य बनता है १० ग्राम
व एक साल में बना ९० ग्राम व १६ साल के बाद वीर्य हो जाता है इस तरह आप का बना
१२६० ग्राम जो के मस्तिक्ष में जाता जो के ह्दय में जाता जो के शरीर में खप जाता पर आप ने उसे अपने जननइन्द्रिये से बाहर निकाल दिया
यह मस्तिक्ष की शक्ति , यह ह्दय की शक्ति , यह शरीर में खपा हुआ वीर्य आप को हर स्थिति में उत्साही रखता
यह वीर्य परमात्मा का प्राण है यह कभी मरता नहीं जब तक आप के शरीर में है व आप में हर कार्य को करने का जोश पैदा करता यह तभी होता जब आप के जीवन का बहुत बड़ा उदेश होता व उस उदेश्य के लिए आप हर रोज कार्य करते व वीर्य को संभाल के रखते
भोजन खाने के बाद , यह वीर्य आप के लिए और कोई कीमत नहीं मांगता , यह आप को याद दिलाता के आप का बहुत बड़ा गोआल है जीवन में महान बनने का, आपने ऋषियों के गौरव को पुना जगाने का, तो आप का जोश व उत्साह भी जाग जाता
अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा , पहले आप उत्साह से वीर्य की रक्षा करो , पहले उत्साह से हर रोज पूरी कोशिश करो के
कोई गन्दा विचार आप के इस वीर्य रूपी अमृत को आप के शरीर से न निकाल पाए उसके बाद यही उत्साह आप का १००० गुना बढ़ जायेगा आप के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए |
आप को अपने मन में आज से एक सपना रोपना है के मैं दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति , सबसे बुद्धिमान व्यक्ति , सबसे आमिर व्यक्ति ब्रह्मचर्य की शक्ति से बनुगा व इस दिशा में पुरे उत्साह से आगे जाये , देखे फिर कैसे आप को सफलता मिलती है | आप को इस उत्साह से इसको पानी देना है सिर्फ १० साल इस उत्साह से कार्य करे फिर देखे आगे आप का यह उत्साह कितना बढ़ जाता है |
ब्रह्मचर्य का ६७ वा लाभ :देवता बनना
देवता वह होता है जो कुछ देता है
सूर्य देवता है जो रोशनी व गर्मी देता है
चाँद देवता है जो ठंडक देता है
जल देवता है जो प्यास को भुझाता है
धरती देवता है जो भोजन को पैदा करती है
ऐसे ही जो ब्रह्मचर्य का पालन करता है उसमें देवता के गुण आ जाते है | वह अपने बल से कमजोरों की रक्षा करने के योग बनता है व अपने ज्ञान से अज्ञान का अँधेरा हटाता है वह दूसरों को भी अच्छा आचरण रखने की शिक्षा देता है व लोगो को बलवान बनाने में , ज्ञान वान बनाने में देवता की भूमिका निभाता है
जो वीर्यहीन हो जाता है उसमें आसुरी शक्तिया आ जाती है वह दूसरों की माँ बहिन को गन्दी नजरों से देखता है क्योकि उसने कुकर्म करके अपने वीर्य का नाश किया है व उसके यह तृष्णा बुझती नहीं व वह हिंसक जानवर बन जाता है अपनी हवस निपटने के लिए | तो आप बताये इस असुर का मुकाबला कैसे करोगे | जब आप ही वीर्यहीन हों | यदि आप में बल है तो आप इसको सही रस्ते पर अपने बल को दिखा कर ला सकते हो |
इस लिए पहले ऋषिमुनि आशीर्वाद देते थे
बेटे वीर्यवान बनो
वीर्यवान बनके ओजस्वी बनो
वीर्यवान बन के तेजस्वी बनो
वीर्यवान बनके बलवान बनो
वीर्यवान बनके देवता बनो
वीर्यवान बनके राक्षसों का वध करो
इस लिए हमारे गुरुकुलों में ब्रह्मचार्यों को यह ब्रह्मचर्य की सबसे पहले शिक्षा दी जाती थी
ब्रह्मचर्य का ६८ वा लाभ : कल्पना शक्ति बढ़ना
ब्रह्मचर्य का ६९वा लाभ : अपनी असफलता से सिखने की शक्ति आना
ब्रह्मचर्य से हम में अपनी असफलता से सिखने की शक्ति आती है | क्योकि जो ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते वो एक बार असफल हो कर हिमत हार जाते है पर जो ब्रह्मचर्य का पालन करते है वह सदा एक विद्यार्थी रहते है व अपने मन को मजबूत करते है के मुझे अपनी हर असफलता से सीखना है
चाणक्य एक महान ब्रह्मचारी थे चाणक्य ने जब पहली बार अकमण किया था तो वो जित न सके व उन्हें छुप अपनी जान बचानी पड़ी थीं पर उन्होंने एक माता से अपने बच्चे को समझते हुए सुना के जब भी खिचड़ी खाये जाती है तो बिच में हाथ डालों गे तो हाथ सड़ जायेगा , पहले केंद्र पर खाने की बजाए पास में खाओ तो केंद्र की गर्मी ख़तम हो जाएगी | चाणक्य ने इससे बहुत बड़ा ज्ञान लिया कि उसे असफलता क्यों मिली उसके बाद पहले केंद्र पर हमला करने की बजाए उसे चारों तरफ से कमजोर करके केंद्र पर विजय प्राप्त की | यह सब ब्रह्मचर्य से आयी मेधा बुद्धि की वजह से ही संभव है |
सिर्फ ब्रह्मचारी ही आतम निरिक्षण करके यह सीखता है
1. असफलता हमें अपनी ऊर्जा को पुनर्निर्देशित करने में मदद करती है, ताकि इस लक्ष्य को तेजी से प्राप्त करने का बेहतर तरीका हो।
2. असफलता एक अच्छा शिक्षक है जो हमें वह महान पाठ पढ़ाती है जो हम किसी अन्य तरीके से नहीं सीख सकते।
3. असफलता कहती है कि मैं तुम्हारे पास इसलिए आया हूं क्योंकि मैं तुम्हें सिखा रहा हूं कि तुम असफल क्यों हुए। अपनी गलती को समझें और इस गलती को रोक दें जिसे आप दोहराते हैं और आप अपना लाभ खो रहे हैं।
4. असफलता समृद्ध अनुभव देती है जो हमें कहीं नहीं मिल सकती
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